यूपी में14 सीटों पर मतदान जारी, अखिलेश, मेनका व रीता की तय होगी किस्मत


लोकसभा चुनाव के छठे चरण में यूपी की 14 सीटों पर आज मतदान हो रहे हैं। इस चरण में आजमगढ़ से पूर्व सीएम व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सुल्तानपुर से केंद्रीय मंत्री व भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी, इलाहाबाद से महिला कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी सहित कई दिग्गजों की किस्मत का फैसला होगा। 2.57 करोड़ से अधिक मतदाता 177 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। सबसे ज्यादा 20 प्रत्याशी जौनपुर में, सबसे कम 7 प्रत्याशी संतकबीरनगर में हैं। वर्ष 2014 में आजमगढ़ को छोड़कर सभी 14 सीटें भाजपा ने जीती थीं। हालांकि उपचुनाव में भाजपा फूलपुर में हार गई थी।


फूलपुर: जातीय समीकरण सबका आधार 
इनमें मुकाबला
केशरी देवी पटेल: भाजपा
पंधारी यादव: गठबंधन
पंकज पटेल: कांग्रेस
यूपी की वीआईपी सीटों में से एक फूलपुर सीट पर समीकरण उलझ गए हैं। पटेल बाहुल्य इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार केशरी देवी पटेल ने बिरादरी को साधने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। पीएम नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ की सभाएं करवाईं। फिल्म स्टार सनी देओल का रोड शो कराया। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार पंकज पटेल ने अपना दल के संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल का दामाद होने के नाते बिरादरी को अपनी ओर खींचने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया। सपा-बसपा गठबंधन से पंधारी यादव भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। ऐसे में इन उम्मीदवारों की कड़ी परीक्षा है। 

मछलीशहर : भाजपा व गठबंधन में कांटे की टक्कर
इनमें मुकाबला
बीपी सरोज: भाजपा
टी राम: गठबंधन
डॉ. अमरनाथ पासवान: जनअधिकार 
मछलीशहर सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के टी. राम और भाजपा के बीपी सरोज के बीच सीधी लड़ाई है। भाजपा ने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर 2014 में दूसरे स्थान पर रहे बसपा के बीपी सरोज को उम्मीदवार बनाया है। दोनों के अपने-अपने समीकरण तो हैं ही, पार्टियों के काडर के बहाने जातिगत समीकरण भी साधे गए हैं। सरोज सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं तो टी. राम बसपा से विधायक रहे हैं। भाजपा, गठबंधन और कांग्रेस के किसी भी हाईप्रोफाइल नेता ने संसदीय क्षेत्र में सभा नहीं की है। बड़ी सभाओं का केंद्र जौनपुर जिला मुख्यालय ही रहा।



जौनपुर: ध्रुवीकरण के सहारे उम्मीदवार
इनमें मुकाबला
डॉ. केपी सिंह: भाजपा
श्याम सिंह यादव: गठबंधन
देवव्रत मिश्र: कांग्रेस
भाजपा ने वर्तमान सांसद डॉ. केपी सिंह पर दोबारा दांव लगाया है। पीएम मोदी भी उनके लिए सभा कर चुके हैं तो जातिगत समीकरण दुरुस्त करने के लिए भाजपा ने अन्य बड़े नेताओं को भी उतार दिया। गठबंधन ने प्रशासनिक अधिकारी रह चुके श्याम सिंह यादव को टिकट दिया है। यादव को गठबंधन के गणित से चमत्कार की उम्मीद है। उनके लिए मायावती और अखिलेश ने रैली कर भितरघातियों को एकजुटता का संदेश दिया है। फिलहाल सभी प्रत्याशी ध्रुवीकरण के सहारे हैं। 

आजमगढ़: अखिलेश-निरहुआ के अलावा कोई नहीं  
इनमें मुकाबला
अखिलेश यादव: सपा
दिनेशलाल यादव निरहुआ: भाजपा
2014 के चुनाव से ही ये वीआईपी सीट है। तब यहां से मुलायम सिंह यादव जीते थे। इस बार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने पिता की विरासत संभालने के लिए मैदान में हैं। जातिगत और राजनीतिक समीकरण उनके अनुकूल हैं, पर भाजपा ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को लाकर उनका रास्ता रोकने का तगड़ा प्रबंध किया है। अखिलेश गठबंधन की जमीनी ताकत और अपने कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों के भरोसे हैं तो निरहुआ ने उनकी ही जमीन में सेंधमारी कर दी है। कांग्रेस के मैदान में न होने का फायदा अखिलेश को मिल सकता है।

सुल्तानपुर : मेनका गांधी को मिल रही कड़ी टक्कर
इनमें मुकाबला
मेनका गांधी: भाजपा
संजय सिंह: कांग्रेस
चंद्रभद्र सिंह: बसपा
बेटे वरुण गांधी से सीट की अदला-बदली कर सुल्तानपुर पहुंचीं भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी कड़े मुकाबले में फंसी हैं। अमेठी से सटी सुल्तानपुर सीट शुरुआत में मेनका के लिए आसान मानी जा रही थी मगर गठबंधन प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह सोनू और कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. संजय सिंह उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। डॉ. संजय सिंह ने 2009 का चुनाव यहां से जीता था, लेकिन 2014 के चुनाव में उनकी पत्नी अमीता सिंह को करारी शिकस्त का मुंह देखना पड़ा था। गठबंधन प्रत्याशी के लिए भी करो या मरो की स्थिति है। 

भदोही: त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी सीट
इनमें मुकाबला
रमेशचंद्र बिंद: भाजपा
रंगनाथ मिश्र: बसपा
रमाकांत यादव: कांग्रेस
भदोही संसदीय सीट से तीन प्रमुख उम्मीदवारों में दो बाहरी हैं। भाजपा प्रत्याशी रमेश बिंद को बिरादरी के परंपरागत वोटों के अलावा पीएम मोदी के नाम का सहारा है, उन्हें विधायक विजय मिश्र का समर्थन भी है। गठबंधन के उम्मीदवार बसपा के रंगनाथ मिश्र यादव, मुस्लिम, दलित व ब्राह्मण मतों के सहारे जीत की उम्मीद कर रहे हैं। आजमगढ़ से चार बार सांसद और चार बार विधायक रह चुके रमाकांत यादव कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। उनके प्रचार के लिए प्रियंका गांधी भी आईं। मतदान के दिन ब्राह्मण बिरादरी का रुख नतीजा तय करेगा। 


 



इलाहाबाद: मतों का ध्रुवीकरण बड़ी चुनौती
इनमें मुकाबला
डॉ. रीता जोशी: भाजपा
राजेंद्र प्रताप सिंह पटेल: गठबंधन
योगेश शुक्ला: कांग्रेस
इलाहाबाद संसदीय सीट पर पर्यटन मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी भाजपा से मैदान में हैं। पूर्व सीएम हेमवतीनंदन बहुगुणा की पुत्री होने के साथ ही वे मोदी मैजिक के सहारे हैं। इसके बावजूद जातिगत मतों का ध्रुवीकरण सबसे बड़ी चुनौती है। पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ फिल्म स्टार सनी देओल भी प्रचार कर चुके हैं। कांग्रेस उम्मीदवार योगेश शुक्ला को सत्ताधारी दल से नाराज मतों का सहारा है तो सपा-बसपा गठबंधन से राजेंद्र प्रताप सिंह पटेल भी पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं। इनके लिए प्रचार अभियान के आखिरी दिन डिंपल यादव व जया बच्चन रोड शो कर चुकी हैं। 

प्रतापगढ़: ताकत और बिरादरी का सहारा
इनमें मुकाबला
संगम लाल गुप्ता: भाजपा
अशोक त्रिपाठी: गठबंधन
राजकुमारी रत्ना सिंह: कांग्रेस
प्रतापगढ़ सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबला है। यहां भाजपा उम्मीदवार संगमलाल गुप्ता को सवर्ण व पिछड़े मतदाताओं के अलावा मोदी के नाम और काम का सहारा है। पीएम नरेंद्र मोदी की सभा भी कराई गई। कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमारी रत्ना सिंह को अपने काम के साथ ही परंपरागत वोटों पर भरोसा है। उनके लिए प्रियंका गांधी भी वहां सभा कर चुकी हैं। गठबंधन से अशोक त्रिपाठी मैदान में हैं तो जनसत्ता दल से अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के प्रभाव वाले इलाके में उम्मीदवार ताकत और बिरादरी के भरोसे हैं।

लालगंज: क्या टूटेगा 30 वर्षों का रिकॉर्ड
इनमें मुकाबला
नीलम सोनकर: भाजपा
संगीता आजाद: बसपा
पंकज मोहन सोनकर: कांग्रेस
मौजूदा सांसद भाजपा की नीलम सोनकर और गठबंधन की संगीता आजाद में सीधी लड़ाई है। नीलम को लेकर मतदाता नाराजगी जता रहे हैं तो संगीता को अपनी ही पार्टी के भितरघातियों से जूझना पड़ रहा है। कांग्रेस के पंकज मोहन सोनकर लड़ाई को त्रिकोणीय बना रहे हैं। सीट पर न तो दल विशेष की लहर है और न ही ध्रुवीकरण दिख रहा है। पिछडे़ क्षेत्र में विकास की बस बात होती है। जातीय समीकरणों के अलावा नेताओं-कार्यकर्ताओं के रिश्ते नतीजों की बुनियाद बनेंगे। एक तथ्य है 1989 के बाद से सीट से कोई भी लगातार दो बार सांसद नहीं बना है। 


 



बस्ती: कांग्रेस ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय
इनमें मुकाबला
हरीश द्विवेदी: भाजपा
रामप्रसाद चौधरी: गठबंधन
राजकिशोर सिंह: कांग्रेस
जाति के खांचे के हिसाब से वोट डालने वाले बस्ती संसदीय क्षेत्र में अबकी जातिगत समीकरण साधना ही बड़ी चुनौती है। शुरुआत में गठबंधन से भाजपा से सीधी टक्कर की उम्मीद थी, लेकिन सपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह कांग्रेस के टिकट पर उतर गए तो मुकाबला त्रिकोणीय बन गया। कांग्रेस उम्मीदवार हरैया से कई बार विधायक और मंत्री रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार और मौजूदा सांसद हरीश द्विवेदी केंद्र और प्रदेश सरकार की उपलब्धियों के भरोसे हैं। आवास, शौचालय, गैस व बिजली कनेक्शन के लाभार्थियों के साथ रहने की उम्मीद है। गठबंधन प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी जातीय गणित के सहारे अपनी जीत पक्की मान रहे हैं।

श्रावस्ती : जाति-धर्म के बीच उलझी सियासी जंग 
इनमें मुकाबला
दद्दन मिश्रा: भाजपा
राम शिरोमणि वर्मा: बसपा
धीरेंद्र प्रताप सिंह: कांग्रेस
बुद्ध की तपोस्थली के रूप में विख्यात श्रावस्ती का चुनावी गणित जाति व धर्म के बीच उलझता दिख रहा है। 2014 में भाजपा की झोली में गई इस सीट पर इस बार भाजपा, गठबंधन व कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होता दिख रहा है। नतीजे चाहे जो भी हों, लेकिन गन्ने की मिठास से भरी यह धरती चुनावी कड़वाहट के फेर में फंसती नजर आ रही है। पिछली बार सपा एवं बसपा ने अलग-अलग लड़कर साढ़े चार लाख से अधिक मत हासिल किए थे। इस बार दोनों साथ होने से मजबूती का दम भर रहे हैं। यदि मतों का ध्रुवीकरण हुआ तो मुकाबला सीधा भी हो सकता है।  

अंबेडकरनगर : राष्ट्रवाद व बसपा के विकास को लेकर जंग
इनमें मुकाबला
मुकुट बिहारी वर्मा: भाजपा
रितेश पांडेय: बसपा
अंबेडकरनगर संसदीय सीट पर बसपा, सपा व रालोद गठबंधन प्रत्याशी रितेश पांडेय और भाजपा प्रत्याशी मुकुट बिहारी वर्मा के बीच सीधा मुकाबला है। फूलनदेवी के पति व कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेद निषाद का पर्चा खारिज हो गया था। 2014 में मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी हरिओम पांडेय चुनाव जीते थे। इस बार गठबंधन प्रत्याशी और जलालपुर से विधायक रितेश पांडेय को जातीय समीकरणों के सहारे जीत की उम्मीद है। भाजपा ने मुकुट बिहारी के पक्ष में प्रचार के लिए हरिओम पांडेय के साथ ही पार्टी नेताओं की लंबी फौज उतारी। भाजपा को भरोसा है कि राष्ट्रवाद और मोदी के चेहरे की बदौलत चुनावी वैतरणी पार हो जाएगी।


 



संतकबीरनगर : जाति का सवाल सब पर भारी
इनमें मुकाबला
प्रवीण निषाद: भाजपा
भालचंद यादव: कांग्रेस
भीष्मशंकर तिवारी: बसपा
संत कबीर की धरती पर भाजपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद मोदी मैजिक के साथ स्वजातीय व सवर्ण मतों के भरोसो हैं। उनके लिए सीएम योगी, हेमा मालिनी तक की सभाएं हो चुकी हैं। दो बार सांसद रह चुके भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी गठबंधन से बसपा के उम्मीदवार रहे हैं। चौथी बार यहां से मैदान में उतरे कुशल को बसपा के परंपरागत मतदाताओं के साथ-साथ मुस्लिम व यादव मतों की भी आस है। दो बार सांसद रह चुके कांग्रेस उम्मीदवार भालचंद यादव मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। उन्हें यादव व पिछड़े वर्ग के मतों के साथ मुस्लिमों के समर्थन का भरोसा है।

डुमरियागंज: भितरघातियों को साधने वाले की होगी नैया पार
इनमें मुकाबला
जगदंबिका पाल: भाजपा
आफताब आलम: गठबंधन
डॉ. चंद्रेश उपाध्याय: कांग्रेस
डुमरियागंज लोकसभा सीट पर भाजपा व गठबंधन भितरघात से परेशान है, जो इन्हें साध लेगा उसका पलड़ा भारी हो जाएगा। कांग्रेस ने यहां से भाजपा छोड़कर आए डॉ. चंद्रेश कुमार उपाध्याय को मैदान में उतारा है। डॉ. चंद्रेश की भाजपा में भी अच्छी पकड़ है और वह भाजपा प्रत्याशी के लिए समस्या खड़ी कर सकते हैं। भाजपा प्रत्याशी जगदंबिका पाल मौजूदा सांसद हैं। इन्हें सामान्य व पिछड़ा वर्ग में मोदी मैजिक का फायदा मिल सकता है। गठबंधन से बसपा के आलम पहली बार यहां से किस्मत आजमा रहे हैं। जिले में मुस्लिमों की करीब 27% आबादी है। लेकिन सपा का एक धड़ा यहां से बसपा प्रत्याशी उतारे जाने से नाराज है। उसे साधना आफताब के लिए चुनौती है।